एक जंगल में एक चिड़िया रहती थी। बरसात का मौसम था। एक दिन उसने एक कौवे को डाली के नीचे दबे देखा जो तूफान की वजह से टूट गई थी।
चिड़िया उसके पास गई और बोली मैं तुम्हारी मदद कर देती हूं उसने उस डाली को हटा दिया और कौआ आजाद हो गया कोए को चोट आई थी वह सही से उड़ नहीं पा रहा था तब कौए ने कहा कि थोड़े दिनों के लिए मुझे रहने के लिए जगह दे दो मैं ठीक होकर अपने घर चला जाऊंगा चिड़िया को यह डर था कि वह मेरे अंडे खा जाएगा।
तब कौआ बोला बहन तुमने मेरी जान बचाई है मैं तुम्हारा एहसानमंद हूं मैं तुम्हारे अंडे नहीं खाऊंगा चिड़िया ने उस पर विश्वास कर लिया और अपने घोंसले में ले गई और उसका इलाज कर उसको ठीक करने का प्रयास किया। कौआ अब अच्छे से उड़ने लगा था एक दिन जब चिड़िया जंगल में खाना खोजने गई हुई थी तो कौए ने उसके अंडे खाए और वह वहां से उड़ गया।
जब चिड़िया वापस आई तो उसने देखा ना तो कौवा है और ना ही उसके अंडे यह देखकर वह रोने लगी।
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